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कन्या पूजा (Kanya Pooja) : नवरात्रि की अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन का पवित्र महत्व

Published On: April 5, 2025
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कन्या पूजा Kanya Pooja नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर किया जाने वाला एक पावन कर्म है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। कन्या पूजा (Kanya Pooja) जानिए इसके पीछे की आध्यात्मिक परंपरा और महत्व।

कन्या पूजा (Kanya Pooja) क्या है और क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में नवरात्रि एक विशेष पर्व है जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इसी के अंतिम चरण यानी अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजा की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को देवी का सजीव रूप मानकर उनके चरण धोए जाते हैं, उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार देकर सम्मानित किया जाता है।

यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्त्री शक्ति के सम्मान और बालिकाओं के सशक्तिकरण की भावना भी दर्शाती है।

कन्या पूजा Kanya Pooja : धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

कन्या पूजा का आधार शक्ति की पूजा में छिपा है। माना जाता है कि बालिकाओं में नवदुर्गा के नौ स्वरूप विद्यमान होते हैं। इन बच्चियों को पूजा कर हम ब्रह्मांड की सबसे शुद्ध ऊर्जा — मातृशक्ति — को नमन करते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है:

“कन्यायै नमः। बालारूपेण संस्थिता। नमो देव्यै महादेव्यै।”

यह पूजा एक सशक्त प्रतीक बनती है — एक महिला के उस रूप की जो कोमल भी है और शक्तिशाली भी।

कब की जाती है कन्या पूजा (Kanya Pooja) ?

हर साल नवरात्रि के आठवें (अष्टमी) या नौवें (नवमी) दिन कन्या पूजा की जाती है। कुछ लोग इसे अष्टमी को करते हैं और कुछ नवमी को। कई घरों में दोनों दिन कन्याओं को आमंत्रित कर यह पूजा की जाती है। 2025 में भी यह परंपरा पूरे उत्साह से निभाई जाएगी।

सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष कुछ क्षेत्रों में अष्टमी 1 अक्टूबर को है और नवमी 2 अक्टूबर को। परंपरानुसार दोनों दिन शुभ माने जाते हैं।

कन्या पूजा (Kanya Pooja) कैसे की जाती है?

कन्या पूजा की प्रक्रिया पूरी श्रद्धा और नियमों से की जाती है:

  • सुबह घर को साफ़ करके पूजा की जाती है
  • 9 कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है (अगर 9 नहीं हों तो जितनी संभव हो उतनी)
  • उनके पांव धोकर उन्हें बैठाया जाता है
  • उनके लिए खासतौर पर सात्विक पकवान जैसे पूड़ी, चना, हलवा बनाए जाते हैं
  • भोजन के बाद उन्हें वस्त्र, चूड़ी या छोटी भेंट दी जाती है
  • चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है

यह पूजा न केवल पुण्य देती है बल्कि मन की शुद्धता और संतुलन भी लाती है।

कन्या पूजा (Kanya Pooja) और वर्तमान समाज में उसका सन्देश

आज जब समाज में Women Empowerment और Gender Equality की बात हो रही है, ऐसे में कन्या पूजा का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह सिर्फ धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक सोच है — जिसमें बेटियों को सम्मान दिया जाता है, और उन्हें देवी का स्वरूप माना जाता है।

एक सच्चा कन्या पूजन तब ही सार्थक होगा जब हम असल जीवन में भी बेटियों को वही मान-सम्मान दें जो हम पूजा के दिन देते हैं।

कन्या पूजा क्यों है हर भक्त के जीवन का हिस्सा?

कई लोगों के लिए यह पूजा एक परंपरा मात्र है, पर वास्तव में यह आत्मा को शुद्ध करने वाली प्रक्रिया है। छोटे बच्चों की निश्छलता और पवित्रता में ही देवी का वास माना गया है। इसीलिए हर भक्त के लिए कन्या पूजा एक अनिवार्य कर्तव्य बन जाता है।

निष्कर्ष: कन्या पूजा (Kanya Pooja) केवल पूजा नहीं, सोच है

कन्या पूजा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी गहरा है। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति वहीं है जहां नारी को सम्मान मिले, जहां हर कन्या को देवी का स्थान दिया जाए।

आइए, इस नवरात्रि सिर्फ पूजा तक न रुकें, बल्कि कन्याओं को जीवन के हर क्षेत्र में बराबरी देने का संकल्प लें।

SRK NEWS

मेरा नाम रोहन है। मुझे वेब डिज़ाइन और आर्टिकल राइटिंग में 7 वर्षों का अनुभव है। मैं 2017 से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ और इस दौरान कंटेंट निर्माण और डिजिटल मीडिया को करीब से समझा है। वर्तमान में मैं SRKNews वेबसाइट को संभाल रहा हूँ, जहाँ मेरा उद्देश्य है पाठकों को सरल भाषा में भरोसेमंद, निष्पक्ष और ताज़ा खबरें पहुँचाना।

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